व्रत / पंचांग भेद की वजह से शुक्रवार को भी एकादशी, महालक्ष्मी के सामने दीपक जलाकर बोलें लक्ष्मी मंत्र
एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए किया जाता है व्रत, दक्षिणावर्ती शंख से करना चाहिए अभिषेक
दैनिक भास्कर
Mar 19, 2020, 03:49 PM IST
जीवन मंत्र डेस्क. शुक्रवार, 20 मार्च को चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे पाचमोचनी एकादशी कहते हैं। इस संबंध में पंचांग भी हैं। कुछ क्षेत्रों में 19 मार्च को ही एकादशी मनाई गई। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अगर आपके क्षेत्र में शुक्रवार को एकादशी मनाई जा रही है तो इस दिन विष्णुजी के साथ ही देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करें।
दक्षिणावर्ती शंख से करें अभिषेक
> एकादशी और शुक्रवार के योग में भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें। इसके लिए दूध में केसर मिलाएं और शंख में ये दूध डालकर अभिषेक करें। दीपक जलाएं। पूजा में लक्ष्मी मंत्र- ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:, का जाप 108 बार करें। विष्णु मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप भी करें।
> ध्यान रखें ऐसे फोटो या मूर्ति की पूजा करें, जिसमें भगवान विष्णु साथ महालक्ष्मी बैठी हुई हैं। घी का दीपक जलाएं। गुलाब के लाल फूल चढ़ाएं। दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं।
> इस दिन देवी मां को कमल के फूल चढ़ाएं। सफेद मिठाई का भोग लगाएं। इत्र अर्पित करें।
> एकादशी की शाम पीपल के नीचे, पंचमुखी दीपक जलाएं। हनुमान चालीसा का पाठ करें।
> सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें।
इस एकादशी के व्रत से पाप कर्मों का प्रभाव होता है खत्म
पापमोचनी एकादशी के व्रत और इस दिन किए गए पूजा-पाठ से अक्षय पुण्य मिलता है। हर साल ये व्रत करने से जाने-अनजाने में किए गए पापों के फल से मुक्ति मिलती है। जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें दिनभर निराहार रहना चाहिए। अगर ये संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं। इस दिन अधार्मिक कर्मों से बचना चाहिए। तभी पूजा-पाठ का पूरा पुण्य मिल सकता है।