निर्भया केस / फांसी से 15 दिन पहले दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- मुझे वकील ने धोखा दिया इसलिए मेरे कानूनी विकल्प बहाल हों
नई दिल्ली. निर्भया के दुष्कर्मी मुकेश सिंह ने फांसी से 15 दिन पहले शुक्रवार को सजा से बचने का नया पैंतरा चला। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मुकेश ने कहा कि वकील ने उसे धोखा दिया है इसलिए उसके कानूनी विकल्पों को बहाल किया जाए। मुकेश की क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है। ट्रायल कोर्ट ने गुरुवार को चौथा डेथ वॉरंट जारी कर निर्भया के दोषियों मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय सिंह (31) की फांसी 20 मार्च को सुबह साढ़े 5 बजे तय की है।
कानूनी विकल्प बहाल करने के लिए मुकेश की दलीलें
- मुकेश ने याचिका में केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और एमीकस क्यूरी वृंदा ग्रोवर पर आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया और सीबीआई जांच की मांग की। उसने कहा- मैं गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार, वृंदा ग्रोवर और सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मौजूद अन्य वकीलों की आपराधिक साजिश का शिकार हुआ। इन लोगों ने मुझे सेशन कोर्ट के आदेश का भय दिखाकर कई कागजातों पर दस्तखत करवाए। इन लोगों ने कहा कि अदालत ने याचिकाएं दाखिल करने के लिए मेरे दस्तखत लेने का आदेश दिया था।
- मुकेश ने कहा कि राजनीतिक हितों के चलते जानबूझकर मेरे खिलाफ मिलकर आपराधिक साजिश रची गई और वकील तिहाड़ जेल में मुझसे मिलने आए और विभिन्न कागजातों पर मुझे दस्तखत करने के लिए कहा। उसने कहा कि मेरे हस्ताक्षर से क्यूरेटिव पिटिशन सहित जितने भी दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए हैं, उन्हें सुरक्षित रखने का निर्देश जारी कर इसकी जांच कराई जाए।
- निर्भया के दोषी ने कहा, “उन्होंने मुझसे वकालतनामे पर साइन करने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि सेशन कोर्ट ने एक आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक मुझे सभी अदालतों में क्यूरेटिव पिटीशन फाइल करने के लिए कागजात पर दस्तखत करने हैं।”
- मुकेश ने कहा- सेशन कोर्ट के कथित आदेश के भय से मैंने वकील द्वारा दिए गए वकालतनामे और अन्य कागजातों पर दस्तखत कर दिए। मुझे हाल ही में पता चला है कि ऐसा कोई ऑर्डर सेशन कोर्ट ने जारी ही नहीं किया था। रिव्यू पिटीशन खारिज होने के बाद क्यूरेटिव पिटीशन फाइल करने की समय सीमा 3 साल तक है। ऐसे में जुलाई 2021 तक मेरे पास क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका दाखिल किए जाने का वक्त है। इसलिए कानूनी मेरे अधिकार बहाल किया जाएं।
मुकेश की याचिका के बाद फांसी में नया पेंच
कानूनी पैंतरे चलकर दो महीने से फांसी से बच रहे निर्भया केस के चारों दोषियों के सभी कानूनी विकल्प अब खत्म हो चुके हैं। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका खारिज की थी। लेकिन, अब मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर नया पेंच फंसा दिया है। जेल मेन्युअल के मुताबिक, किसी एक भी दोषी की याचिका अगर लंबित रहती है तो फैसला होने तक निर्भया जैसे केस में सभी दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती।
निर्भया की मां ने कहा- 20 मार्च की सुबह, हम सबकी जिंदगियों की सुबह होगी
डेथ वॉरंट जारी होने के बाद निर्भया की मां ने कहा था- मुझे उम्मीद है कि यह आखिरी तारीख होगी और दोषियों को 20 मार्च को फांसी दे दी जाएगी। जब तक फांसी नहीं होगी, हम लड़ते रहेंगे। दोषियों की तरफ से पूरी कोशिश यही रही है कि फांसी टल जाए। 20 मार्च की सुबह हम लोगों की जिंदगियों की भी सुबह होगी। निर्भया ने मरते वक्त कहा था कि दोषियों को ऐसी सजा मिले कि इस तरह का जुर्म फिर कभी न हो। अगर ऐसा कोई भी मौका मिलता है, तो मैं दोषियों को फांसी पर लटकते देखना चाहूंगी।
16 दिसंबर 2012: 6 दोषियों ने निर्भया से दरिंदगी की थी
दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा से 16 दिसंबर, 2012 की रात 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की थी। गंभीर जख्मों के कारण 26 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। घटना के 9 महीने बाद यानी सितंबर 2013 में निचली अदालत ने 5 दोषियों राम सिंह, पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई थी। मार्च 2014 में हाईकोर्ट और मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी थी। ट्रायल के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से 3 साल में सुधार गृह से छूट चुका है।