Mahavir Jayanti Essay : in Hindi / InEnglish
2020 महावीर जयंती पर निबंध Essay on Mahavir Jayanti in Hindi
महावीर जयंती Mahavir Jayanti 2020 का महोत्सव 6 अप्रैल, 2020 के दिन मनाया जायेगा। अज हम इस पोस्ट में आपको बताएँगे महावीर जयंती का इतिहास और इसके विषय में पूरी जानकारी निबंध के रूप में। तो चलिए शुरू करते हैं।
महावीर जयंती का इतिहास History of Mahavir Jayanti in Hindi
महावीर जयंती का उत्सव खासकर भारत में जैन धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। अन्य सभी धर्मों के लोग भी इस दिन को भारत में मनाते हैं। यह मुख्य तौर पर भगवान महावीर या वर्धमान के जन्म अवसर पर मनाया जाता है।
महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। वो जैन धर्म के प्रवर्तक थे और जैन धर्म के मूल सिधान्तों की स्थापना में उनका अहम योगदान है। उनका जन्म शुक्लपक्ष, चैत्र महीने के 13वें दिन 540 ईसीबी में कुंडलगामा, वैशाली जिला, बिहार में हुआ था। इसलिए प्रतिवर्ष महावीर जयंती के उत्सव को अप्रैल के महीने में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
यह दिन जैन धर्म के लिए बहुत ही मायने रखता है। यह दिन राजपत्रित अवकाश के रूप में पूरे भारत में माना जाता है और लगभग सभी सरकारी दफ्तरों तथा शैक्षिक संसथानों में छुट्टी होता है।
महावीर जयंती का उत्सव Celebration of Mahavir Jayanti
इस दिन को बहुत ही धूम धाम से जैन धर्म के लोग मनाते हैं और अन्य धर्म के लोग भी इस दिन को मनाते हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह उत्सव मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ता है
इस दिन को सभी भगवान महावीर से जुड़े मंदिर और पवित्र स्थानों को फूलों, ध्वजों से सजाया जाता है। इस दिन भगवान महावीर के भक्त गण पावन स्नान करते हैं और बहुत ही उत्साह और उमंग के साथ पूजा में भाग लेते हैं।
इस दिन की एक परंपरा है कि लोग इस दिन दीन-दुखी लोगों को जर्रोरत की सामग्री जैसे कपड़े, खाना और पैसे भी दान करते हैं। यह सभी प्रकार की सुविधाएँ भारत में कई जगह जैन धर्म के संगठन द्वारा आयोजन किया जाता है।
जगह जगह बड़े जैन मंदिरों जैसे गिरनार और पलिताना, गुजरात – श्री महावीर जी, राजस्तान – पारसनाथ मंदिर, कोल्कता, और बिहार में महावीर जी की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है और प्रार्थना भी की जाती है।
इन जगहों में कुछ महान व्यक्ति अपने कुछ उच्च सुविचारों को सभी लोगों के समक्ष रखते हैं जिसमें वे जैन समाज के सिद्धांतों को बताते हैं।
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भगवान महावीर पर संक्षिप्त जीवनी Short Biography on God Mahavir
- महावीर भगवान जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। उनका जन्म 540 ईसीबी में बिहार के एक शाही परिवार में हुआ था।
- उनका जन्म राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के घर में हुआ था।
- यह माना जाता है की उनके जन्म के होने से सभी तरफ खुशियों की लहर ही आगयी थी और सुख शांति हुआ इसलिए उनको वर्धमान यानि वृद्धि भी कहाँ जाता है।
- आध्यात्मिकता की खोज में उन्होंने 30 वर्ष की आयु में स्वयं का घर छोड़ दिया और साढ़े बारह सालों तक तपस्या किया। कठोर तपस्या के बाद उनको ज्ञान शक्ति की प्राप्ति हुई।
- वो पुरे भारत में 30 साल तक लोगों को शिक्षा बांटते रहे। उन्होंने सत्य-असत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के विषय में लोगों को शिक्षा दिया।
- उन्होंने इन महान सुविचारों को लोगों तक पहुँचाने और शिक्षा देने के लिए जैन धर्म में अपना अहम् योगदान दिया।
- 72 वर्ष में मृत्यु के बाद, उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया और वे जैन धर्म के महान तीर्थंकर में से एक माने गए।
Mahavir Jayanti Essay No. 2
संत महावीर जैन धर्म के गुरु थे| वे एक प्रवर्तक और जैन धर्म के चौबीसवे (24) तीर्थकर थे| उन्होंने अपना पूरा जीवन अहिंसा को बढ़ावा देने में लगा दिया| जिस युग में जात-पात को बढ़ावा दिया जाता था उस काल में भगवान महावीर का जन्म हुआ था| उन के पिता जी क्षत्रिय धर्म के थे| उन्होंने दुनिका किउ बुराई मिटाने के लिए सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया| आज के इस पोस्ट में हम आपको भगवान महावीर पर निबंध, महावीर पर हिंदी लेख, महावीर जयंती शार्ट एस्से, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने भाषण या लेख में इस्तेमाल कर सकते है|
महावीर जयंती पर निबंध 2020
Mahavir Jayanti महावीर जयंती का उत्सव खासकर भारत में जैन धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। अन्य सभी धर्मों के लोग भी इस दिन को भारत में मनाते हैं। यह मुख्य तौर पर भगवान महावीर या वर्धमान के जन्म अवसर पर मनाया जाता है।
महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। वो जैन धर्म के प्रवर्तक थे और जैन धर्म के मूल सिधान्तों की स्थापना में उनका अहम योगदान है। उनका जन्म शुक्लपक्ष, चैत्र महीने के 13वें दिन 540 ईसीबी में कुंडलगामा, वैशाली जिला, बिहार में हुआ था। इसलिए प्रतिवर्ष महावीर जयंती के उत्सव को अप्रैल के महीने में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।यह दिन जैन धर्म के लिए बहुत ही मायने रखता है। यह दिन राजपत्रित अवकाश के रूप में पूरे भारत में माना जाता है और लगभग सभी सरकारी दफ्तरों तथा शैक्षिक संसथानों में छुट्टी होता है।
‘महावीर जयंती’ जैन सम्प्रदाय का प्रसिद्द त्यौहार है। महावीर जयंती भगवान महावीर के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। भगवान महावीर अंतिम तीर्थंकर थे। यह त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मार्च- अप्रैल के महीने में पड़ता है।महावीर का जन्म राजघराने में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा सिद्धार्थ एवं माता का नाम रानी त्रिसला था। उनका जन्म हिन्दू कैलेंडर के चैत्र माह के शुक्ल पक्ष क़ी त्रयोदशी को हुआ था।महावीर जयंती के दिन महावीर जी क़ी झाकियां एवं शोभा-यात्रा निकाली जाती हैं। सम्पूर्ण भारत में जैन मंदिरों में पूजा-अर्चना क़ी जाती है। जैन सम्प्रदाय के लोग विभिन्न प्रकार क़ी समाज सेवा करते हैं महावीर जी के नाम पर दान इत्यादि करते हैं।
Mahavir Jayanti Short Essay In Hindi
महावीर जयंती’ जैन सम्प्रदाय का प्रसिद्द त्यौहार है। महावीर जयंती भगवान महावीर के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। भगवान महावीर अंतिम तीर्थंकर थे। यह त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मार्च- अप्रैल के महीने में पड़ता है।
महावीर का जन्म राजघराने में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा सिद्धार्थ एवं माता का नाम रानी त्रिसला था। उनका जन्म हिन्दू कैलेंडर के चैत्र माह के शुक्ल पक्ष क़ी त्रयोदशी को हुआ था।
महावीर जयंती के दिन महावीर जी क़ी झाकियां एवं शोभा-यात्रा निकाली जाती हैं। सम्पूर्ण भारत में जैन मंदिरों में पूजा-अर्चना क़ी जाती है। जैन सम्प्रदाय के लोग विभिन्न प्रकार क़ी समाज सेवा करते हैं महावीर जी के नाम पर दान इत्यादि करते हैं।
Essay For Mahavir Jayanti In Hindi
महावीर जयंती जैनियों में महावीर जन्म कल्याणक के नाम से मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह हर साल वार्षिक रुप से मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ती है। यह पूरे देश के सभी जैन मंदिरों में बहुत अधिक जोश के साथ मनाई जाती है। महावीर से जुड़े हुए सभी मंदिरों और स्थलों को इस विशेष अवसर पर फूलों, झंडों आदि से सजाया जाता है। इस दिन, समारोह और पूजा से पहले महावीर स्वामी की मूर्ति को पारंपरिक स्नान कराया जाता है और इसके बाद भव्य जूलुस या शोभायात्रा निकाली जाती है। इस दिन गरीब लोगों को कपड़े, भोजन, रुपये और अन्य आवश्यक वस्तुओं को बाँटने की परंपरा है। इस तरह के आयोजन जैन समुदायों के द्वारा आयोजित किए जाते हैं। बड़े समारोह उत्सवों का गिरनार और पालीताना सहित गुजरात, श्री महावीर जी, राजस्थान, पारसनाथ मंदिर, कोलकाता, पावापुरी, बिहार आदि में भव्य आयोजन किया जाता है। यह लोगों के द्वारा स्थानीय रुप से महावीर स्वामी जी की मूर्ति का अभिषेक करके मनाया जाता है। इस दिन, जैन धर्म के लोग शोभायात्रा के कार्यक्रम में शामिल होते हैं। लोग ध्यान और पूजा करने के लिए जैन मंदिरों में जाते हैं। कुछ महान जैनी लोग, जैन धर्म के सिद्धान्तों को
Mahavir Jayanti Essay In English
Mahavir Jayanti is also known as Mahavir Janma Kalyanak and is the most important religious festivals for people following Jainism. Mahavir Jayanti celebrates the birth of Lord Mahavir. Mahavir was born to the royal couple King Siddartha and Queen Trishala in 599 BCE. During Trishala pregnancy, she had number of auspicious dreams, all signifying the coming of a great soul. Svetambaras and Digambaras believe that she got 14 and 16 dreams respectively. Astrologers predicted he would become a Chakravarti or a Tirthankara. King Indra bathed Mahavir with celestial milk marking him as Tirthankara. Mahavir preached the philosophy to encourage truthfulness, chastity, nonviolence, non-stealing, and simple living. Mahavir died in year 527 BC at the age of 72 to attain Nirvana or Moksha. He was cremated at Pawapuri, which was converted into a Jain temple.
Mahavir Jayanti is celebrated throughout the country among the Jain communities. But the celebrations are at peaks in Gujarat and Rajasthan states. It is celebrated on the 13th day of Chaitra month of Hindu calendar. In English calendar it comes in the month of April.
There is a belief that Mahavir Jayanti is celebrated in simplicity but there are some significant ceremonies that they hold. Devotees bring Mahavir statue to home and give it a ceremonial bath which is traditionally known as Abhisheka. Special parades are carried out by the devotees, showcasing a montage on the life of Mahavir. On the way bhajans are chanted. All the devotees go to Jain temple to get blessing from the Mahavir for their prosperity. Monks and nuns delivery lecture to lead the path of virtue as defined by Jainism. Donations are collected to promote charitable missions. The act of giving forms plays a significant role in the celebration. As per the principle of Lord Mahavir, the devotees practice charitable acts. The gift of giving can be Gyan daan, Abhay daan, Aushad daan, Ahaar daan etc.
Short Essay on Mahavir Jayanti
Article shared by – The State
Mahavir Jayanti or Mahavir Janam Kalyanak occurs on the 13th day of the rising moon of Chaitra and is celebrated as the birthday of Lord Mahavira, the twenty fourth Tirthankara according to Jain mythology.
Chronologically, Mahavira’s birth is in 599 B.C.E. Lord Mahavira was the son of Lord Siddhartha and Queen Trishla. It is believed that when Lord Mahavira was in the womb of his mother Trishla, she had fourteen auspicious dreams symbolizing the birth of a Thirthankara her child. It is also said that when Lord Mahavira was in the womb of his mother, the whole kingdom faced happiness and the kingdom was free from any kind of diseases because Mahavira was about to be born. It is said that Lord Indra himself bathed Mahavira when he was born because it was a ritual that was to be followed when any Thirthankara is born.
Lord Mahavira is said to be the founder of Jainism and it is said that he is the one who laid down the basic principles of Jainism. The five principles of Jainism as laid down by Lord Mahavira are : Satya or truth, Ahimsa or non- violence, Achaurya of not stealing anyone else’s possessions, Bramhacharya or non-indulgence in sexual intercourse and Aparigraha meaning not assembling unnecessary goods.
Lord Mahavira was married initially but he left his kingdom to seek greater truth and attain Nirvana. Lord Mahavira was a kind-hearted person and had to face a number of hardships in his life before he could attain Nirvana. His ears were pinned, a vigorous snake bit him but he never complained because he said that all our sufferings are the result of the pain which we once gave to others.
Lord Mahavira’s saying was a lot similar to the sayings like you reap what you sow and what goes around comes around. The difference is that Mahavira insisted that we have to reap the seeds of what we did in our past life also. All the individuals who face hardships in the current life is actually the result of the wrongdoings of the past life. If today we understand the fact and promise ourselves that we will not hurt any living being in the future, we will not have to suffer in the future.
The auspicious day of Mahavir Jayanti is celebrated by Jains all over the world. Jains visit Jain temples, perform various kinds of Puja and fast on this day. Mahavir Jayanti is the greatest festival for the Jains. On this day people try to remember the teachings of Lord Mahavira and also make promises that they will not hurt anyone in the future; knowingly and unknowingly. The struggles and hardships faced by Lord Mahavira portray how great his individuality and his personality was.