Akshaya Tritiya 2020: अक्षय तृतीया के दिन हुआ था भगवान परशुराम का जन्म, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और आरती
Parshuram Jayanti: हिन्दू पंचांग के अनुसार बैसाख महीने की शुक्ल पक्ष तृतीया यानी कि अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था.
Akshaya Tritiya
Parshuram Jayanti 2020:
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन भगवान परशुराम के जन्मदिन को परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti) के रूप में मनाया जाता है. हिन्दू मान्यताओं में परशुराम (Parshuram) भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं. भगवान परशुराम अत्यंत वीर, पराक्रमी और बुद्धिमान होने के साथ ही उनके क्रोध के लिए भी उन्हें विशेष रूप से जाना जाता है. मान्यता है कि उन्होंने क्रोध में आकर भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था. कहा जाता है कि उनके क्रोध से सभी देवी-देवता भयभीत रहा करते थे. परशुरम को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है. मान्यता है कि उन्हें शिव शंकर से विशेष परसु प्राप्त हुआ था.
Parshuram Jayanti 2020:
परशुराम जयंती कब है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार बैसाख महीने की शुक्ल पक्ष तृतीया यानी कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार उनकी जयंती हर साल अप्रैल के महीने में आती है. इस बार परशुराम जयंती 26 अप्रैल को है.
Akshaya Tritiya
Parshuram Jayanti 2020 – Date and muhurat
परशुराम जयंती की तिथि और शुभ मुहूर्त
परशुराम जयंती की तिथि: 26 अप्रैल 2020
तृतीया तिथि आरंभ: 25 अप्रैल 2020 को सुबह 11 बजकर 51 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त: 26 अप्रैल 2020 को दोपहर 1 बजकर 22 मिनट तक
Parshuram Jayanti puja samagri
परशुराम जयंती की पूजन सामग्री
भगवान परशुराम की मूर्ति, चौकी या लकड़ी का पटरा, धूप, दीप, घी, कपूर, नैवेद्य, अक्षत, चंदन, वस्त्र, फूल और फूलों की माला.
Parshuram Jayanti 2020: puja vidhi
परशुराम जयंती की पूजा विधि
– अक्षय तृतीया के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
– अब घर के मंदिर या पूजा स्थान पर बैठकर व्रत का संकल्प लें.
– आसन ग्रहण कर चौकी या लकड़ी के पटरे पर भगवान परशुराम की मूर्ति/फोटो स्थापित करें.
– अब हाथ में अक्षत, जल और फूल लेकर इस मंत्र का उच्चारण करें: “मम ब्रह्मत्व प्राप्तिकामनया परशुराम पूजनमहं करिष्ये”
– अब अक्षत, जल और फूल परशुराम की मूर्ति को समर्पित करें.
– परशुराम जयंती के दिन व्रत रखने वाले भक्त को सूर्यास्त तक मौन धारण करना चाहिए.
– अब संध्या काल में फिर से स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
– इसके बाद परशुराम जी की मूर्ति के आगे घी का दीपक जलाएं.
– अब परशुराम जी की की मूर्ति को वस्त्र अर्पित करें और फूलों की माला पहनाएं.
– इसके बाद फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें.
– अब धूप-दीप दिखाकर अर्घ्य अर्पित कर इस मंत्र का उच्चारण करें:
जमदग्निसुतो वीर क्षत्रियान्तकर प्रभो।
गृहाणार्घ्य मया दत्तं कृपया परमेश्वर ॥
– इस मंत्र का अर्थ है- “हे प्रभु ! आप जमदग्नि के पुत्र हो और क्षत्रियों का नाश करनेवाले हो, अत: कृपया मेरे दिए अर्घ्य को स्वीकार करो.”
– अब परशुराम जी की कथा सुनें.
– फिर आरती उतारकर घर के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटें और आप भी ग्रहण करें.
– मंत्र जाप करते हुए रात्रि जागरण करें.
– अगले दिन सुबह उठकर अपने व्रत का पारण करें.
Parshuram Jayanti 2020: Aarti
परशुराम की आरती
शौर्य तेज बल-बुद्घि धाम की॥
रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन।
कौशलेश पूजित भृगु चंदन॥
अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥1॥
नारायण अवतार सुहावन।
प्रगट भए महि भार उतारन॥
क्रोध कुंज भव भय विराम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥2॥
परशु चाप शर कर में राजे।
ब्रम्हसूत्र गल माल विराजे॥
मंगलमय शुभ छबि ललाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥3॥
जननी प्रिय पितु आज्ञाकारी।
दुष्ट दलन संतन हितकारी॥
ज्ञान पुंज जग कृत प्रणाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥4॥
परशुराम वल्लभ यश गावे।
श्रद्घायुत प्रभु पद शिर नावे॥
छहहिं चरण रति अष्ट याम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥5॥